۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
इमाम ए जमाअत दो मर्तबा
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शरई अहकाम:
मुस्तहबी नमाज़ में इक्तेदा करना
हौज़ा / कुछ लोग जब यह देखते हैं की इमाम ए जमाअत नमाज पढ़ रहा है तो तुरंत इसकी इक्तेदा कर लेते हैं मुमकिन है ऐसा करना दुरुस्त न हो।
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शरई अहकाम:
क्या एक इमाम ए जमाअत दो मर्तबा (दो गिरोहों के लोगों) नमाज़ ए आयात के लिए इमामत कर सकता है?
हौज़ा / एहतयाते वाजिब की बिना पर नहीं कर सकता हैं।