इमाम हसन अस्करि (अ.स.)
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हज़रत इमाम हसन अस्करी अ के बाद सामने आने वाले फ़िर्क़े और उनका संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / इतिहासकारों ने लिखा है कि इमाम हसन असकरी अ.स. की शहादत के बाद लोग 14 या 15 फ़िर्क़ों में बंट गए, कुछ इतिहासकारों के अनुसार 20 फ़िर्क़ों में बंट जाने तक का ज़िक्र मौजूद है।
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दिन की हदीस:
कुरआन करीम के बारे में इमाम हसन अ.स. की नसीहत
हौज़ा / हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में कुरआन मजीद के मुतालिक नसीहत फरमाई हैं।
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ज़ियारत ए अरबईन की अहमियत
हौज़ा/इमाम हसन असकरी अ.स. ने फ़रमाया पाँच चीज़ें मोमिन और शियों की निशानी हैं उन्हें में से एक ज़ियारते अरबईन इमाम हुसैन अ.स.चेहलुम के दिन की ज़ियारत हैं।
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इस्लामी कैलेंडरः29 सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 - 26 सितंबर 2022
हौज़ा / इस्लामी कैलेंडर: 29 सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 - 26 सितंबर 2022 आज हैं।
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:दिन की हदीस
तंगदस्त लोगों को इमाम हसन असकरी अ.स. की सलाह
हौज़ा/ हज़रत इमाम हसन असगरी अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में तंगदस्त लोगों को दूसरे के सामने हाथ फैलाने से मना किया है।
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समंदपुर, आजमगढ़ में जश्ने इमाम हसन अस्करी (अ.स.) और मस्जिद का उद्घाटन:
अल्लाह की मस्जिद दो चीजों से मिलकर बनती है, एक शरीर और दूसरी आत्मा, हुज्जतुल इस्लाम मेहदी महदवीपुर
हौज़ा / भारत मे इस्लामी गणराज्य ईरान के सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि ने एक बयान में कहा कि मस्जिद दो चीजों से बनती है, एक शरीर और दूसरी आत्मा, मस्जिद का शरीर भवन, ईंट, सजावट आदि है। लेकिन रूहे मस्जिद नमाज़े जमाअत, और उपयोगी कार्यक्रम, कुरान का पाठ और मजलिस हुसैनी की व्यवस्था की जाती है।
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इमाम हुसैन (अ.स.) के चेहलुम की तारीख़ी हैसीयत
हौज़ा / इमाम हसन अस्करी (अ.स.) ने ज़ियारते अरबाईन को एक मोमिन की निशानीयो मे बताया है। इसे वाजिब और मुस्तहब नमाज़ो में क़रार दिया है। जैसे नमाज धर्म का स्तंभ है, वैसे ही वाक़ेआ ए कर्बला और ज़ियारते अरबाईन भी धर्म का स्तंभ है।