हौज़ा / इमाम हसन अस्करी (अ.स.) ने ज़ियारते अरबाईन को एक मोमिन की निशानीयो मे बताया है। इसे वाजिब और मुस्तहब नमाज़ो में क़रार दिया है। जैसे नमाज धर्म का स्तंभ है, वैसे ही वाक़ेआ ए कर्बला और ज़ियारते…