۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
उमरे सआद
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कुफ़ा जैसी महिलाओं की ज़रूरतः मौलाना मुराद रज़ा रिज़वी
हौज़ा / दौरे हाजिर के बेग़ैरत पुरुषों ने तो अपना विवेक (ज़मीर) बेच दिया है। केवल ज़ैनबी महिलाएं ही इस सांस्कृतिक नरसंहार का बदला ले सकती हैं जिससे इमामे ज़माना (अ.त.फ.श.) का शरीर और आत्मा दोनों घायल है। यह आशा की जाती है कि प्रत्येक क्षेत्र की महिलाएं कुफा की महिलाओं के कार्यों को दोहरा कर रूहे जनाबे सैयदा को शांति प्रदान करेंगी।