हौज़ा / उलमा ए दीन को गुमराह करने वाले विचारों के प्रचार के मुक़ाबले में रवैया सिर्फ़ ज़ाहिरी क़दम तक सीमित नहीं होता, बल्कि उसकी तकमील इल्मी वज़ाहत और फ़िक्री रहनुमाई से की जाती है। आयतुल्लाह…