हौज़ा / इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) फ़रमाते हैं : ख़ुदा की क़सम अगर मै इन भेड़-बकरियों की संख्या के बराबर सच्चा शिया और सच्चा दोस्त रखता, तो मेरे लिए एक अत्याचारी के सामने चुप रहना जायज़ नहीं होता…