क़ुरआन की रौशनी में
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क़ुरआन की रौशनी में:
इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी के हर मैदान के लिए है
हौज़ा / इंसान के लिए सारे उसूल इस्लाम में मिलते हैं,अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने, उससे दुआ मांगने, उसके सामने रोने और नमाज़ पढ़ने से लेकर जिहाद तक यह इंसान के कामयाबी के राज़ हैं।
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रमज़ानुल मुबारक के पहले दिन पिछली साल की तरह इस साल भी सुप्रीम लीडर की मौजूदगी में उन्स बा क़ुरआन का आयोजन/फोटो
हौज़ा/पिछले बरसों की तरह इस साल भी रमज़ानुल अलमुबारक के पहले दिन इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में क़ुरआन मजीद से उन्स की महफ़िल आयोजित हुई जिसमें मुल्क के बड़े क़ारियों और क़ुरआन के सिलसिले में काम करने वालों ने शिरकत की,
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हदीस की रौशनी में:
कठिन हालात का सामना होने पर इंसान को अपनी कमज़ोरियों का पता चलता हैं।
हौज़ा/हम सबके यहाँ कमज़ोरियां पायी जाती हैं, हम कमज़ोर हैं और कितनी ऐसी कमज़ोरियां हैं कि कठिन हालात का सामना होने पर इंसान की वह कमज़ोरियां स्वाभाविक तौर पर ज़ाहिर होती हैं। हम अपनी कमज़ोरियों को पहचानें, इंसान घमंड और ग़फ़लत से निकल जाए,
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संयुक्त अरब अमीरात में 26 लाख कुरआन की छपाई
हौज़ा/संयुक्त अरब अमीरात में दो सांस्कृतिक संस्थानों ने शेख़ मकतूम बिन राशिद अल मकतूम के कुरआन के 26 लाख संस्करणों को प्रिंट और प्रकाशित करने के लिए अपने समझौते की घोषणा की हैं।
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क़ुरआन की रौशनी में:
आपस में सब भाई भाई हैं
हौज़ा/अल्लाह तआला के नज़दीक तुम में से ज़्यादा मोअज़्ज़ज़ व मोकर्रम वह है जो तुम में ज़्यादा परहेज़गार है सबके सब एक जैसे और आपस में भाई भाई हैं हम सबको होशियार रहना चाहिए जागरुक होना चाहिए, अपनी आँखें खुली रखें, समीक्षाओं में ग़लती का शिकार न हो,
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क़ुरआन की रौशनी में:
क़ुरआन पड़ना और सुनना अल्लाह तआला की रहमत के नाज़िल होने का ज़रिया
हौज़ा/क़ुरआन सुनना वाजिब व ज़रूरी काम है अब या तो ख़ुद आयत की तिलावत कीजिए या फिर किसी और से क़ुरआन की तिलावत सुनिए यह काम अनिवार्य हैं पहली बात तो यह कि क़ुरआन सुनना वही पर ईमान के लिए अनिवार्य है जिन लोगों को हमने किताब दी है वह उसे इस तरह पढ़ते हैं जिस तरह पढ़ने का हक़ है” (सूरए बक़रह, आयत-121) ये लोग जो क़ुरआन की तिलावत करते हैं, तिलावत के हक़ का (पालन करते हुए) ये लोग इस पर ईमान रखते हैं, तो क़ुरआन की तिलावत उस पर ईमान के लिए अनिवार्य हैं।
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क़ुरआन की रौशनी में:
पूरा क़ुरआन प्रकृति के उसूलों के बयान से भरा पड़ा है
हौज़ा/सुन्नत का मतलब क़ानून और उसूल, अल्लाह तआला ने प्रकृति में इंसानियत के लिए नियम निर्धारित किए हैं क़ानून बनाए हैं,और एक निशानी सूरज है जो अपने मुक़र्ररा ठिकाने की तरफ़ चल रहा है गर्दिश कर रहा हैं यह अंदाज़ा उस ख़ुदा का मुक़र्रर किया हुआ है जो ग़ालिब और बड़ा इल्म वाला है।
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पश्चिम की भौतिक सभ्यता का पतन, अल्लाह के अटल वादों में से एक हैं।सुप्रीम लीडर
हौज़ा/आज पश्चिम की सभ्यता पतन का शिकार है, यानी हक़ीक़त में पतन की ओर बढ़ रही हैं,नरक की आग के मुहाने पर खड़ी हैं,ख़ुद पश्चिमी विचारकों ने इसे महसूस कर लिया है और ज़बान से कहने भी लगे हैं और इक़रार कर रहे हैं,
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क़ुरआन की रौशनी में:
अच्छी ज़िन्दगी, अल्लाह के धर्म पर अमल करने पर निर्भर हैं
हौज़ा/क़ुरआन मजीद की बहुत सी आयतों में पैग़म्बरों की ज़िम्मेदारी इस तरह से बयान की गई है कि वह आकर लोगों को ख़ुशख़बरी दें और डराएं। या कुछ आयतों में कहा गया हैः ए पैग़म्बर हमने आपको (जहन्नम से) डराने के लिए भेजा है,
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क़ुरआन की रौशनी में:
इस्लाम का रास्ता एतेदाल (मियाना रवी) और इंसाफ़ का रास्ता हैं
हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,इस्लाम का रास्ता बीच का रास्ता है, इंसाफ़ का रास्ता है इंसाफ़ में बहुत अर्थ छिपे हुए हैं।
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:क़ुरआन की रौशनी में
नेमतें अल्लाह तआला की तरफ़ से हैं इसे न भूलें
हौज़ा/अल्लाह तआला इंसान को कोई नेमत देता है, लेकिन इंसान, नेमत देने वाले को भूल जाता है और ख़्याल करता है कि उसने ख़ुद अपने बल पर यह नेमत, यह पोज़ीशन और यह मौक़ा हासिल किया हैं।
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:क़ुरआन की रौशनी में
ईमान और जेहाद, ज़िन्दगी के हर मैदान में कामयाबी की शर्त
हौज़ा/अगर ईमान और जेहाद और इन जैसी चीज़ें होंगी तो मामला सिर्फ़ इतना नहीं है कि अल्लाह आपको माफ़ कर देगा, नहीं कामयाबी यानी वह चीज़ जिसे पाने की आप कोशिश में लगे हैं।
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:क़ुरआन की रौशनी में
ज़िन्दगी के अलग अलग मैदानों में इस्तेग़फ़ार का सहारा
हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनई ने कहां,अगर इंसान सही अर्थ में अपनी ग़लतियों, कमियों और इन जैसी चीज़ों की वजह से अल्लाह से ग़लती की माफ़ी मांगे, तो अल्लाह माफ़ करता हैं।
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अल्लाह तआला को भूलना और इच्छाओं की आपूर्ति में लगे रहना आम लोगों की गुमराही की अस्ल वजह
हौज़ा/हमें यह समझना चाहिए कि वह समाज कैसे इस हद तक गिर गया कि जिस समाज में इस्लामी जगत की पहली हस्ती और मुसलमानों के ख़लीफ़ा हज़रत अली अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत इमाम हुसैन का कटा हुआ सिर उस शहर में फिराया गया और लोगों पर कुछ असर न हुआ!
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:क़ुरआन की रौशनी में
ईमान जेहाद और अल्लाह तआला पर भरोसे की ताक़त का प्रदर्शन हैं।
हौज़ा/इस्लामी बेदारी ने इस्लामी दुनिया के केंद्र में एक हैरतअंगेज़ व करिश्माती हक़ीक़त पैदा कर दी है जिससे साम्राज्यवादी ताक़तें बुरी तरह परेशान हैं। इस चीज़ का नाम रेज़िस्टेंस हैं।
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:क़ुरआन की रौशनी में
इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी के हर मैदान के लिए हैं।
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्लाम, इंसान की ज़िंदगी के हर मैदान के लिए हैं अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने, उससे दुआ मांगने, उसके सामने रोने और नमाज़ पढ़ने से लेकर जेहाद और जेहाद के मैदान में शिरकत तक सब इस दायरे में हैं, पैग़म्बर की ज़िंदगी भी यही दिखाती है।
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क़ुरआन की रौशनी में:
गुनाह सिर्फ़ ख़ुदा माफ़ करेगा, पैग़म्बर भी नहीं
हौज़ा/अपने गुनाहों से दूसरों को अवगत कराना, अपने अंदरूनी राज़ों और अपने गुनाहों को दूसरों के सामने बयान करना मना है,गुनाह सिर्फ़ ख़ुदा माफ़ करेगा,
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क़ुरआन की रौशनी में:
अल्लाह तआला के ज़िक्र से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,हमें जान लेना चाहिए कि अल्लाह तआला का ज़िक्र और उसकी याद, रास्ता दिखाने वाली है, रास्ता खोलने वाली है, हाथ थामने वाली है, हमें मुश्किलों से दूर करने की ताक़त अता करती है,
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क़ुरआन की रौशनी में:
शैतान, लोगों को बहाने पर तुला हुआ हैं।
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,लोगों का सरगर्म रहना बहुत ज़रूरी है। आप देख रहे हैं कि छोटे बड़े शैतान लोगों को बहकाने के चक्कर में हैं जैसा कि उनके सरग़ना ने कहा थाः “मैं ज़रूर इन सबको बहका कर रहूंगा।(सूरए साद, आयत 82)