۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
क़ैसर अब्बास
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मुहर्रम कपड़ो की तबदीली का नही, चरित्र 'किरदार' की तबदीली का महीना है
हौज़ा / बाजार में हर जगह दुकानदार हाथों में काले कपड़े लहरा रहे थे और चिल्ला रहे थे कि "मुहर्रम क्लैकशन आ गया है आएं खरीदे"। मेरे दोस्त के आंसू निकल पड़े जब उसने दुकानदारों को मुहर्रम क्लैकशन की इस तरह से मार्केटिंग करते देखकर मेरी आंखो से आंसू निकल आए मै सोच रहा था कि क्या कर्बला मे इतनी बड़ी कुर्बानी इसी लिए दी गई थी कि आज हम उनका सोग फैशन के साथ मनाऐेगे ?