۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
किसी की नियाबत में नमाज़ पढ़ना
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शरई अहकम:
किसी की नियाबत में नमाज़ पढ़ना और रोज़ा रखना
हौज़ा/नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं हैं, लेकिन अगर वह रोज़े में अजीर हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन अगर वह उज्रत के बिना किसी मुआवज़े के (मुफ्त में) अदा करे तो रोज़ा सही नहीं है।हां बड़ा बेटा हर सूरत में बाप के रोज़ो कि कज़ा रख सकता हैं।