۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
नमाज जुमा का सवाब

हौज़ा/नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं हैं, लेकिन अगर वह रोज़े में अजीर हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन अगर वह उज्रत के बिना किसी मुआवज़े के (मुफ्त में) अदा करे तो रोज़ा सही नहीं है।हां बड़ा बेटा हर सूरत में बाप के रोज़ो कि कज़ा रख सकता हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल: क्या वह आदमी की जिसके ज़िम्मे में अपनी खुद कज़ा नमाज़ ए और रोज़े हो ऐसे आदमी की नमाज़ और रोजे बजा ला सकता है कि जो खुद इंतकाल कर चुका हो?


उत्तर: नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं हैं, लेकिन अगर वह रोज़े में अजीर हो तो कोई हरज नहीं, लेकिन अगर वह उज्रत के बिना किसी मुआवज़े के (मुफ्त में) अदा करे तो रोज़ा सही नहीं है।हां बड़ा बेटा हर सूरत में बाप के रोज़ो कि कज़ा रख सकता हैं।

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