हौज़ा / आयतुल्लाह बहजत नसीहत करते हैं कि अहले बैत अ.स. की मजालिस में उनके फ़ज़ाइल और मनाकिब बयान करने के साथ-साथ, अगर आँखों से आँसू न भी आएँ तो चेहरे पर रोने की हालत पैदा करें, दिल में ग़म पैदा…