क़ज़ावत मे फ़ैसले के लिए रिश्वत देना और लेना हराम है फ़ैसला हक़ पर ही हो चाहे ज़ालिम से जायज़ हक़ निकलवाने के लिए रिश्वत देना पड़े तो दी जा सकती है मगर लेने वाले के लिए रिश्वत लेना हराम है।