۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
झूठी कसम खाना हैं
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शरई अहकाम:
झूठ बोलने से अगर किसी को नुक़सान नहीं पहुंचे तो झूठ बोलना कैसा है?
हौज़ा / झूठ बोलना चाहे उससे किसी दूसरे को नुक़सान ना भी पहुंचे हाराम है और सबसे बदतर झूठ, झूठी गवाही देना हैं, झूठी क़सम खाना हैं।