दर्द और दुख
-
जो कोई भी ग़ज़्ज़ा के दर्दनाक दृश्यों से प्रभावित नहीं होता उसके पास मानवता नहीं है
हौज़ा / जमीयत उलमाई सूर लेबनान के प्रमुख ने कहा: जो कोई ग़ज़्ज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक और दक्षिण लेबनान में ज़ायोनीवादियों द्वारा क्रूर हत्याओं और आतंकवाद के दृश्यों से प्रभावित नहीं है, ऐसा लगता है कि उसके पास मानवता नहीं है।
-
दिन की हदीसः
दवा का इस्तेमाल कब करना चाहिए?
हौज़ा / पैगंबर ए अकरम (स.अ.व.व.) ने एक रिवायत मे बीमार पड़ने के पश्चात दवा का इस्तेमाल करने की ओर इशारा किया है।
-
यह दर्द दर्रनाक है
हौज़ा / मख़लूक़ चाहे इंसान हो या जानवर, इंसान मुसलमान हो या ग़ैर मुसलिम अगर ज़रूरतमंद है तो इस्लाम ने उसकी मदद का हुक्म दिया है! किसी से बदगुमानी और किसी की तौहीन किसी भी हाल में सही नहीं है! लेकिन कभी कभी ख़ामोश रहना भी मुनासिब नहीं है!
-
ग़मे फ़ातेमा को समझे बिना फ़ातेमी नही बन सकते, हुज्जतुल इस्लाम मुज़फ़्फ़र हुसैन बट
हौज़ा / हमें अपने दुःख को फातिमा (स.अ.) के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए, अर्थात हमारे दुःख का स्तर हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) के दुःख के मानक के समान होना चाहिए क्योंकि जब तक हम फातिमा (स.अ.) के दुःख को नहीं समझते हैं फातेमी नहीं बन सकते।
-
जो कोई दूसरों के दुख और दर्द को साझा करता है, वह पैगंबर की शिक्षाओं का अधिक पालन करता है, हुज्जतुल इस्लाम मरवी
हौज़ा / जो लोगों की चिंताओं और कष्टों से बेखबर नहीं है और दूसरों की चिंताओं को कम करने की कोशिश करता है, वह इस्लाम के पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की शिक्षाओं और चरित्र के करीब है।