۲۳ شهریور ۱۴۰۳ |۹ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 13, 2024

पतित से पावन

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  • जनसमुदाय का ज़मीर जिंदा करना!

    जनसमुदाय का ज़मीर जिंदा करना!

    हौज़ा / दुनिया की अदालत को फैसला,जजमेंट देने में समय लगता है मगर दिल की अदालत को नही लगता दिल की अदालत जिस तरह दंडित करती है उसी तरह अवॉर्ड भी देती है दिल की इस अदालत के न्यायाधीश साहब का नाम (ज़मीर) है अंतरात्मा के नाम से जाना जाता हैं।

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