परमेश्वर (6)
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इत्रे क़ुरआन ! सूर ए नेसा
हौज़ा हाय इल्मियाक़यामत के दिन कोई वकील नहीं होगा
हौज़ा/ यह आयत हमें सिखाती है कि हमें दुनिया में गुमराह लोगों का समर्थन करने और उनके लिए झूठे तर्क पेश करने से बचना चाहिए। हमें अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और परमेश्वर के प्रति जवाबदेह…
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इत्रे क़ुरआन ! सूर ए आले इमरान
हौज़ा हाय इल्मियाइनाम और सवाब के लिए इंसान की गूंज परमपिता परमेश्वर की ओर होती है
हौज़ा / मरना या मारा जाना, चाहे ईश्वर के रास्ते पर हो या दूसरों के रास्ते पर, ईश्वर के पास जाना है, न कि विनाश कीओर।
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इत्रे क़ुरआनः सूर ए आले इमारन !
हौज़ा हाय इल्मियाअल्लाह पर झूठ बाधना और इफ़तरा परदाज़ी करना बड़ा अन्याय है
हौज़ा | यहूदियों का कुछ खाद्य पदार्थों के बारे में पवित्रता का दावा, अल्लाह पर झूठ बाधना और इफ़तरा
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इत्रे क़ुरआनः सूर ए आले इमारन !
हौज़ा हाय इल्मियामकतब के प्रति आस्था के साथ-साथ उसके प्रकाशन के लिए संघर्ष करना भी जरूरी है
हौज़ा | पवित्र पैगंबर (स) को लोगों को पिछले पैगंबर (अ) पर विश्वास करने के दायित्व के संबंध में ली गई प्रतिज्ञा की याद दिलाने का आदेश देना। सभी नबियों का एक ही रास्ता और एक ही लक्ष्य है।
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इत्रे क़ुरआनः सूर ए आले इमारन !
हौज़ा हाय इल्मियाअल्लाह और उसकी तौहीद के प्रति समर्पण पैगंबरों के आह्वान की भावना है
हौज़ा | पैगंबरों ने किसी को स्वर्गदूतों और पैगंबरों को भगवान बनाने का आदेश नहीं दिया। पैगम्बरों और स्वर्गदूतों के प्रभुत्व में विश्वास पैगम्बरों के लक्ष्यों के अनुकूल नहीं है।
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इत्रे क़ुरआन ! सूर ए आले इमरान
हौज़ा हाय इल्मियामनुष्य का सीना उसकी सोच और विचारों का खजाना होता है
हौज़ा | इंसान के दिल में जो कुछ भी है, अल्लाह उसे जानता है, चाहे वह उसे प्रकट करे या छिपाए।