सोमवार 27 जनवरी 2025 - 06:02
क़यामत के दिन कोई वकील नहीं होगा

हौज़ा/ यह आयत हमें सिखाती है कि हमें दुनिया में गुमराह लोगों का समर्थन करने और उनके लिए झूठे तर्क पेश करने से बचना चाहिए। हमें अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और परमेश्वर के प्रति जवाबदेह होने के लिए तैयार रहना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी|

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम

هَا أَنْتُمْ هَٰؤُلَاءِ جَادَلْتُمْ عَنْهُمْ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا فَمَنْ يُجَادِلُ اللَّهَ عَنْهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ أَمْ مَنْ يَكُونُ عَلَيْهِمْ وَكِيلًا  हा अंतुम हा उलाए जादलतुम अन्हुम फ़िल हयातिद दुनिया फ़मन योजादेलुल्लाहा अन्हुम यौमल क़यामते अम मन यकूनो अलैहिम वकीला (नेसा 109)

अनुवाद: सावधान... उस समय तो तुमने सांसारिक जीवन में भी उनकी ओर से बहस करनी शुरू कर दी थी, तो अब क़यामत के दिन उनकी ओर से अल्लाह से कौन बहस करेगा और उनका वकील और समर्थक कौन होगा?

विषय:

इस आयत में अल्लाह तआला उन लोगों को चेतावनी दे रहा है जो दुनिया में गुमराह लोगों का समर्थन करते हैं, उनके लिए झूठे तर्क पेश करते हैं और उनके बुरे कामों को छिपाते हैं। अल्लाह तआला उन्हें याद दिलाता है कि क़यामत के दिन अल्लाह के सामने उनकी ओर से कोई बहस नहीं करेगा, न ही कोई उनका वकील होगा।

पृष्ठभूमि:

यह आयत पाखंडियों और गुमराह लोगों के बारे में है जो अपने बुरे कामों को छिपाने के लिए दूसरों का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग इस संसार में उनका समर्थन करते हैं और उनके पक्ष में झूठी दलीलें पेश करते हैं, किन्तु क़यामत के दिन ऐसे लोगों का कोई सहायक नहीं होगा।

तफ़सीर:

इस वकालत से अगर कोई लाभ होगा तो वह सांसारिक होगा, जो कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाएगा। जबकि उसकी बुराई आख़िरत में बनी रहेगी। वहां कौन उसकी वकालत करेगा?

अगर किसी मोमिन के मन में यह विश्वास पक्का हो जाए कि क़यामत के दिन उसे अल्लाह के सामने जवाब देना होगा तो इंसान को चाहिए कि चंद दिनों की बेकार की चीज़ों के लिए अपनी हमेशा की ज़िंदगी बर्बाद न करे।

महत्वपूर्ण बिंदु:

1. संसार में गुमराह लोगों का समर्थन करना तथा उनके पक्ष में झूठे तर्क प्रस्तुत करना व्यर्थ है।

2. क़यामत के दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों के साथ अकेला होगा।

3. अल्लाह की अदालत में कोई किसी की ओर से बहस नहीं करेगा।

4. मनुष्य को अपने कार्यों की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए और परमेश्‍वर के प्रति जवाबदेह होने के लिए तैयार रहना चाहिए।

परिणाम:

यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमें संसार में गुमराह लोगों का समर्थन करने तथा उनके पक्ष में झूठे तर्क प्रस्तुत करने से बचना चाहिए। हमें अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और परमेश्वर के प्रति जवाबदेह होने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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सूर ए नेसा की तफसीर

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