हौज़ा/ बचपन के हर स्टेज की अपनी खासियत होती है; शुरुआती सालों में माता-पिता से गहरा लगाव होता है, जबकि करीब नौ साल की उम्र में कलेक्टिव चेतना का बनना और ज़िम्मेदारी का महत्व साफ़ होने लगता है।
हौज़ा / इमाम सज्जाद (अ) ने अपनी दुआ के एक हिस्से में बच्चों की परवरिश में अल्लाह से मदद माँगने की सलाह दी है।