۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
पुरुषों के लिए अहलेबैत
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शरई अहकाम:
पुरुषों के लिए अहलेबैत अ.स.के शोक में ना महरम महिलाओं की चीख पुकार सुनने का क्या हुक्म है?
हौज़ा/जब तक किसी बुराई और फसाद का हामिल ना हो तो सुनने में कोई हर्ज नहीं हैं।