۱۰ مهر ۱۴۰۳ |۲۷ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Oct 1, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/जब तक किसी बुराई और फसाद का हामिल ना हो तो सुनने में कोई हर्ज नहीं हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवालःपुरुषों के लिए अहलेबैत अ.स.के शोक में ना महरम महिलाओं की चीख पुकार सुनने का क्या हुक्म है?

उत्तर:जब तक किसी बुराई और फसाद का हामिल ना हो तो सुनने में कोई हर्ज नहीं हैं।

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