۲۸ شهریور ۱۴۰۳
|۱۴ ربیعالاول ۱۴۴۶
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Sep 18, 2024
बाज़ औकात
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हरम के अतराफ से ज़ियारत करना पढ़ना?
हौज़ा / अरबईन के दिनों में भारी भीड़ के कारण कुछ लोगों के लिए हरम ए इमाम हुसैन अ.स.और बैनुल हरमैन में दाखिल होना बहुत ही मुश्किल का काम है और बाज़ लोगों के लिए ना मुमकिन हो जाता है, और बाज़ औकात दूसरों को तकलीफ पहुंचाने का सबक बनता है, क्या इस सूरत में हराम के अतराफ से ज़ियारत पढ़ना किफायत करता है?