۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024

मज़लूम और ज़ालिम

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  • अरबईन; ज़ुल्म और ज़ालिम के ख़िलाफ़ शाश्वत संघर्ष का नाम है

    अरबईन; ज़ुल्म और ज़ालिम के ख़िलाफ़ शाश्वत संघर्ष का नाम है

    हौज़ा/हुज्जतुल-इस्लाम मंसूर इमामी ने कहा: अरबईन हुसैनी (अ) की महानता को जानना वास्तव में सर्वशक्तिमान ईश्वर को धन्यवाद देना है कि कैसे उन्होंने सदियों बीत जाने के बावजूद सय्यद अल-शोहदा (अ) के शुद्ध और अच्छे कार्यों को संरक्षित और प्रचारित किया। इस अनंत ईश्वरीय आशीर्वाद के लिए व्यक्ति को आभारी होना चाहिए।

  • गवाही को छुपाना कैसा है और क्या शरीयत में ऐसा करना हराम है?

    शरई अहकाम:

    गवाही को छुपाना कैसा है और क्या शरीयत में ऐसा करना हराम है?

    हौज़ा/गवाही को छुपाना ऐसे आदमी के लिए की जिसने किसी मौके पर इस गवाह बनाया हो,और फिर जब उसे गवाही ली जाए तो गवाही न दे, बल्कि जब मज़लूम और ज़ालिम को लोग ना समझ पा रहे हो तो ज़रूरत पड़ने पर अगर इसे किसी ने गवाह भी न बनाया हो तो मज़लूम की मदद करें और ऐसे मौके पर गवाही का छुपाना हराम हैं।

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