۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/गवाही को छुपाना ऐसे आदमी के लिए की जिसने किसी मौके पर इस गवाह बनाया हो,और फिर जब उसे गवाही ली जाए तो गवाही न दे, बल्कि जब मज़लूम और ज़ालिम को लोग ना समझ पा रहे हो तो ज़रूरत पड़ने पर अगर इसे किसी ने गवाह भी न बनाया हो तो मज़लूम की मदद करें और ऐसे मौके पर गवाही का छुपाना हराम हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल:गवाही को छुपाना कैसा है और क्या शरीयत में ऐसा करना हराम है?

जवाब:गवाही को छुपाना ऐसे आदमी के लिए की जिसने किसी मौके पर इस गवाह बनाया हो,और फिर जब उसे गवाही ली जाए तो गवाही न दे, बल्कि जब मज़लूम और ज़ालिम को लोग ना समझ पा रहे हो तो ज़रूरत पड़ने पर अगर इसे किसी ने गवाह भी न बनाया हो तो मज़लूम की मदद करें और ऐसे मौके पर गवाही का छुपाना हराम हैं।

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