۱۵ تیر ۱۴۰۳
|۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 5, 2024
मरजय इकराम,इमाम
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शरई अहकाम:
ना महरम के साथ बात करते हुए मुस्कुराने का क्या हुक्म है ?
हौज़ा/ अगर मुस्कुराना इस तरह से हो की जिससे शहवत ज़्यादा होती हो,या शहवत उभरे तो इस सूरत में बिल्कुल जायज़ नहीं हैं।