हौज़ा/रमज़ान उल मुबारक का यह दूसरा अशरा माफ़ी के लिए है इसलिए जितना हो सके तौबा करके माफ़ी माँग कर अल्लाह के करीब आने की कोशिश करें,इस बरकत महीने में कुरान किस ज़्यादा से ज़्यादा तिलावत करें।