मौला अली (अ.स.) के फैसले
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नई दिल्ली में अहले-बैत काउंसिल इंडिया द्वारा आयोजित पैग़ामे आशूरा कांफ्रेंस को विभिन्न विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने संबोधित किया
मुबल्लेग़ीन का अशूरा और अय्यामे अज़ा के बारे में पहला कर्तव्य, दुनिया को मकसदे क़यामे हुसैनी के बारे में बताना है
हौज़ा / मानव समाज आजादी और स्वतंत्रता का वह रास्ता खोज सकता है जो मजलूमे कर्बला इमाम हुसैन ने जुल्म और अन्याय का डटकर मुकाबला करने में दृढ़ता के माध्यम से स्वतंत्रता-प्रेमी और स्वतंत्र लोगों के लिए निर्धारित किया है।
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मकतबे ग़दीर का करिश्मा
हौज़ा / हम मकतबे ग़दीर के छात्र हैं, इसलिए हम गरिमा, बड़प्पन और उत्कृष्टता के लोग हैं, ये विशेषता हमारी पहचान हैं और इन सिफाते हमीदा से बड़ी मुहब्बत है।
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मौलाना सलमान नदवी ने ईरान में सुन्नी मस्जिदों और मदरसों का दौरा किया
जल्द ही इस्लामी दुनिया का नेतृत्व और संप्रभुता ईरान के हाथों में होगी
हौज़ा / 700 से अधिक देवबंदी विद्वान जिन्होंने भारत और पाकिस्तान से अध्ययन और स्नातक किया है, वे सभी ज़ाहेदान में रहते हैं। 52 गुंबद की मस्जिद मक्की जो नए सिरे से बहुत ही शानदार मस्जिद बनाई जा रही है। किसी भी प्रकार की अहलेसुन्नत भाइयों की कोई सीमा नहीं है, जैसा कि खुरासान में सभी सुन्नी विद्वानों ने आपके साथ अपनी बैठक में कहा था कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ने हमें नेमत दी है। क्रांति से पहले तुर्बत जाम में केवल 3 मस्जिदें थीं आज 30 मस्जिदे है। पूरे खुरासान प्रांत मे जहा 25 से 30 मस्जिदें हुआ करती थी आज 1000 से अधिक मस्जिदे है।
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कानून के पाठ्यक्रम में मौला अली (अ.स.) के फैसले के सिद्धांतों को पढ़ाया जाना चाहिए, हुज्जतुल-इस्लाम सैयद अहमद इक़बाल रिज़वी
हौज़ा / मजलिस-ए-वहदत-ए-मुस्लेमीन पाकिस्तान के केंद्रीय उप महासचिव ने कहा कि जब तक मौला अली (अ.स.) के फैसले इसमें शामिल नहीं होंगे तब तक हमारे कानून का पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो सकता है क्योंकि पैगंबर (स.अ.व.व.) के अनुसार हज़रत अली (अ.स.) इस उम्मत में सबसे अच्छे जज (क़ाज़ी) हैं।