हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, अमलो मुबारकपुर और आसपास के क्षेत्रों में मौला अली (अ.स.) का जन्मदिन श्रद्धा और आदर के साथ मनाया गया। घर-घर में दीयों की रौशनी, नज़्र-नियाज़ और जश्न की महफिलों का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में सबसे बड़ा सालाना प्रोग्राम शिया जामा मस्जिद शाह मोहम्मदपुर, मुबारकपुर के विशाल आंगन में, मुबारकपुर के युवाओं के एक स्वयंसेवी प्रबंधक समूह के द्वारा शानदार तरीके से कल रात, नमाज-ए-मगरिबैन के बाद आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत मौलाना इब्न हसन अमलवी के संबोधन से हुई। उन्होंने कहा:
"इस्लाम के इतिहास में 13 रजब, सन 30 आमुलफील, शुक्रवार का दिन वह पवित्र और मुबारक तारीख है, जब अल्लाह के घर (काबा) में अल्लाह के खास वली, हज़रत अली इब्न अबी तालिब (अ.स.) के रूप में इमामत का नूर प्रकट हुआ। इस नूर ने पूरी दुनिया को रौशन कर दिया।"
मौलाना ने आगे कहा कि यह हज़रत अली (अ.स.) की ऐसी विशेषता है, जो किसी और को प्राप्त नहीं हुई। न उनके पहले और न ही कयामत तक कोई काबा में पैदा होगा।
जश्न के बाद बड़े स्तर पर नज़्र-ए-मौला का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों मोमिनों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन मौलाना इरफान अब्बास (इमामे जुमा और जमाअत, शिया जामा मस्जिद शाह मोहम्मदपुर) ने किया। मुख्य अतिथियों में मौलाना करार हुसैन अजहरी, मौलाना हसन अख्तर आबदी, मौलाना गमख्वार हुसैन, मौलाना कौनेन रजा, मौलाना नफीस अख्तर, मौलाना मुज़फ्फर नक़ी और मौलाना मज़ाहिर अनवर शामिल रहे।
इस अवसर पर शिया जामा मस्जिद की इमारत बिजली की जगमगाहट से दुधिया रोशनी में नहाई हुई थी।
कार्यक्रम के सक्रिय सदस्य मोहम्मद अली कर्बलाई ने सभी उलेमा और प्रतिभागियों का दिल से शुक्रिया अदा किया।
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