हौज़ा / इमाम रज़ा लोगो से बहुत ही एंकिसरी के साथ पेश आते थे जबकि आप अपनी उमर के एक हिस्सा मै वाली अहदी के मुकाम पर फायेज थे (अ) इस के बावजूद लोगों के साथ बहुत विनम्रता के साथ व्यवहार करते थे।