हौज़ा / धार्मिक शिक्षाएँ इस बात पर जोर देती हैं कि सिर्फ़ «सामाजिक राहत» और «सामाजिक सुधार» और «भविष्य की आशा» का ज़िक्र करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इंसान को निराशा से भी दूर रहना चाहिए।