हौज़ा / आयतुल्लाह आराफी ने कहा: रूहानी तरक़्क़ी तभी मुमकिन है जब इंसान अपने भीतर की बेदारी, ज़हनी होशियारी और दिल की निगहबानी को मजबूत करे, क्योंकि इंसान की रूह शैतानी फुसफुसाहटों और नफ़्सानी…