۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
सूर ए नेसा आयत 48
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इत्रे क़ुरआनः सूर ए नेसा !
शिर्क अक्षम्य पाप तथा एकेश्वरवाद का महत्त्व
हौज़ा / आयतुल्लाह को किसी भी रूप मे शिर्क के साथ जोड़ना एक अक्षम्य पाप है। हमें अपने विश्वास में केवल अल्लाह को ही एकमात्र ईश्वर मानना चाहिए और उसके साथ किसी को साझीदार नहीं बनाना चाहिए। इस आयत के आधार पर मुसलमानों को अपने विश्वास की रक्षा करने और एकेश्वरवाद पर कायम रहने की जरूरत है।