۲ آذر ۱۴۰۳
|۲۰ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 22, 2024
स्थानीय रोटियां बनाती
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चेहलुम के अवसर पर नजफ़ से कर्बला तक अरबईन वाॅक करते हुए ज़ाएरीन
हौज़ा/हज़रत इमाम हुसैन अ.स.से मुहब्बत करने वाले युवा, महिलाएं और पुरुष इसी रास्ते पर चलते हैं और सैय्यदुश्शोहदा के त्याग, समर्पण और बलिदान को याद करते हैं, भले ही कर्बला की घटना को सदियां बीत गई हों आज भी कर्बला ज़िन्दा हैं।