हौज़ा/ सवाब और सज़ा के हमेशा रहने की सच्चाई तब साफ़ हो जाती है जब हम उन्हें एक कॉन्ट्रैक्ट वाले कानून के तौर पर नहीं, बल्कि दुनिया में इंसान के सोच-समझकर किए गए कामों और पसंद का नैचुरल नतीजा…