हज़रत ज़ैनब अ. स.का सम्मान
-
हज़रत ज़ैनब (स.अ.) का व्यक्तित्व और उनका इंक़लाबी पैग़ाम
हौज़ा / हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की ज़िंदगी में वो तमाम आला इंसानी सिफ़ात नुमायां थीं जिनमें सब्र, शुजाअत, फ़साहत और बलाग़त शामिल हैं। आपने बचपन ही से अपने नाना रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम, अपने वालिद अली अलैहिस्सलाम, और अपनी मां फातेमा सलामुल्लाह अलैहा की सोहबत में तर्बियत पाई और इल्म ओ हिकमत का वो नूर हासिल किया जिसकी चमक कर्बला में दुश्मनों के लश्कर को लरज़ा देती थी।
-
मुफ़स्सिरे कुरआन हज़रत ज़ैनब बिन्ते अली
हौज़ा / हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं
-
जब बड़ी हस्तियां हिचकिचाहट का शिकार थीं, हज़रत ज़ैनब स.ल. ने ठोस फ़ैसला लिया
हौज़ा / हजरत जैनब एक महान खातून थी जिन्होंने मदीने में रहने से ज़्यादा अफजल इमाम के साथ जाने में समझा और इमाम के साथ हमराही की और इस्लाम को बचा कर लाई आज इस्लाम जिंदा है इन्हीं की बदौलत उनकी महानता को कोई भूला नहीं सकता।
-
हज़रत ज़ैनब बिन्ते अली का कर्बला में महान किरदार
हौज़ा/हज़रत ज़ैनब स.ल. शहीदों के ख़ून का संदेश लानी वाली, अबाअब्दिल्लाहिल हुसैन (अ) की क्रांति की सूरमा, अत्याचारियों और उनके हामियों को अपमानित करने वाली, सम्मान, इज़्ज़त, लज्जा, सर बुलंदी और श्रेष्ठता की उच्चतम चोटी पर स्थित महिला का नाम है।
-
हज़रत ज़ैनब अ.स.मुफ़स्सिरे कुरआन
हौज़ा/हज़रत ज़ैनब अ.स. की एक और सबसे अहम विशेषता जिसको सैय्यद नूरुद्दीन जज़ाएरी ने ख़साएसुज़ ज़ैनबिय्या में ज़िक्र किया है वह यह कि आप क़ुर्आन की मुफ़स्सिरा थीं, और वह एक रिवायत को इस तरह बयान करते हैं कि जिन दिनों इमाम अली अ.स. कूफ़ा में रहते थे उन्हीं दिनों हज़रत जैनब अ.स. कूफ़े की औरतों के लिए क़ुर्आन की तफ़सीर बयान करती थीं
-
हज़रत इमाम हुसैन अ.स. द्वारा हज़रत ज़ैनब अ. स.का सम्मान
हौज़ा/हज़रत ज़ैनब अ.स. की फ़िक्र, आपके अक़वाल और आपकी सीरत में अनेक प्रकार के नैतिक गुण पाए जाते थे जिसको इमाम हुसैन अ. के रवैये से समझा जा सकता है, इमाम हुसैन अ.स. जब कभी अपनी बहन से मिलते हमेशा आपका एहतेराम और सम्मान करते, इतिहास में मौजूद है कि, हज़रत ज़ैनब स.ल.अ. जब भी अपने भाई से मिलने जातीं, इमाम हुसैन अ.स. आपके सम्मान में अपने स्थान से खड़े हो जाते, और फिर आपको अपने स्थान पर बिठाते थें,