۱۵ تیر ۱۴۰۳
|۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 5, 2024
होली और शबे बारात
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इबादत, फज़ीलत, रहमत और माफी की रात शब-ए-बारात ,इमाम मौलाना खुर्शीद आलम
हौज़ा/ इस्लाम में शब-ए-बारात की रात की काफी अहमियत है मुसलमान पूरी रात नमाज़, कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह तआला से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात को अपने पुरखों की कब्र पर भी जाते हैं और फातेहा पढ़ते हैं।
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होली और शबे बारात को देखते हुए इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने जारी की एडवाइजरी
हौज़ा/होली और शब ए बरात एक ही दिन पढ़ने की वजह से ऐसे में इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने मुस्लिम समुदाय के लिए एडवाइजरी जारी की है उसने कहा है कि होली वाले दिन शाम 5 बजे के बाद कब्रिस्तान जाएं एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें।