मंगलवार 7 मार्च 2023 - 13:31
इबादत, फज़ीलत, रहमत और माफी की रात शब-ए-बारात ,इमाम मौलाना खुर्शीद आलम

हौज़ा/ इस्लाम में शब-ए-बारात की रात की काफी अहमियत है मुसलमान पूरी रात नमाज़, कुरान पढ़ते हैं और अल्लाह तआला से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग शब-ए-बारात को अपने पुरखों की कब्र पर भी जाते हैं और फातेहा पढ़ते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लाम में शब-ए-बारात त्योहार की काफी अहमियत हैं, इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से शाबान के महीने की 15वीं तारीख की रात में शब-ए-बारात मनाई जाती है जो मंगलवार को देश भर में मनाई जा रही हैं।

शब-ए-बारात इबादत, फजीलत, रहमत और मगफिरत की रात मानी जाती है इसीलिए तमाम मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर इबादत करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

मंगलवार सात मार्च की शाम को मगरिब की अजान होने के साथ शब-ए-बारात मनाना शुरू करेंगे और बुधवार को शाबान का रोजा भी रखा जाएगा. शब-ए-बारात के त्योहार की रात की काफी अहमियत है.

इस पूरी रात मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद और घरों में इबादत करते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ते हैं और उनके मगफिरत के लिए दुआ करते हैं।

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