۱ آذر ۱۴۰۳
|۱۹ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 21, 2024
हौज़ा ए इल्मिया मुहम्मद बाकिर
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दफ्तरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी द०ज़ि० लखनऊ में मजलिसे अज़ा का आयोजन
हौज़ा / अल्लाह ने इंसान के लिए दो हुज्जत रखी है एक ज़ाहिरी हुज्जत दूसरे बातेनी (छुपी हुई) हुज्जत, बातेनी हुज्जत अक़्ल है, यही अक़्ल है जिससे हर नेकी का दरवाजा खुलता है, अल्लाह के नबियों ने इंसानों की अक़्लों को परवान चढ़ाया कि इंसान अपने पैदा होने के मक़सद को पहचाने और उस पर अमल करे। हदीस में है उल्मा नबियों के वारिस हैं इसलिए उल्मा की भी यही ज़िम्मेदारी है, ग़ैबत के ज़माने में मर्जइयत इमामत की मीरास है, इमाम अलैहिस्सलाम ने ग़ैबत ए सुग़रा में चार खास नायेब मोअय्यन कर के उल्मा से रुजू करने की तरबियत की।