۳۰ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۱ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 19, 2024
मजलिस

हौज़ा / अल्लाह ने इंसान के लिए दो हुज्जत रखी है एक ज़ाहिरी हुज्जत दूसरे बातेनी (छुपी हुई) हुज्जत, बातेनी हुज्जत अक़्ल है, यही अक़्ल है जिससे हर नेकी का दरवाजा खुलता है, अल्लाह के नबियों ने इंसानों की अक़्लों को परवान चढ़ाया कि इंसान अपने पैदा होने के मक़सद को पहचाने और उस पर अमल करे। हदीस में है उल्मा नबियों के वारिस हैं इसलिए उल्मा की भी यही ज़िम्मेदारी है, ग़ैबत के ज़माने में मर्जइयत इमामत की मीरास है,   इमाम अलैहिस्सलाम ने ग़ैबत ए सुग़रा में चार खास नायेब मोअय्यन कर के उल्मा से रुजू करने की तरबियत की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, लखनऊ. हजरत इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम के यौमे शहादत पर दफ्तरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सीस्तानी द०ज़ि० में मजलिसे अज़ा मुनअक़िद हुई, मौलाना मोहम्मद अली ने तिलावत कुरान ए करीम से मजलिस का आग़ाज़ किया, मौलाना हसन अब्बास मारुफी ने बारगाहे इमामत में मंज़ूम नज़राना ए अक़ीदत पेश किया! 

हौज़ा इल्मिया इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम लखनऊ के फाउंडर और प्रिंसिपल मौलाना सैयद पयाम हैदर रिज़वी ने मजलिसे अज़ा को खेताब करते हुए फरमाया: अल्लाह ने इंसान के लिए दो हुज्जत रखी है एक ज़ाहिरी हुज्जत दूसरे बातेनी (छुपी हुई) हुज्जत, बातेनी हुज्जत अक़्ल है, यही अक़्ल है जिससे हर नेकी का दरवाजा खुलता है, अल्लाह के नबियों ने इंसानों की अक़्लों को परवान चढ़ाया कि इंसान अपने पैदा होने के मक़सद को पहचाने और उस पर अमल करे। हदीस में है उल्मा नबियों के वारिस हैं इसलिए उल्मा की भी यही ज़िम्मेदारी है, ग़ैबत के ज़माने में मर्जइयत इमामत की मीरास है,   इमाम अलैहिस्सलाम ने ग़ैबत ए सुग़रा में चार खास नायेब मोअय्यन कर के उल्मा से रुजू करने की तरबियत की।

दफ्तरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी द०ज़ि० लखनऊ में मजलिसे अज़ा का आयोजन

मौलाना सैयद पयाम हैदर रिज़वी ने कहा इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम ने ऐसे माहौल में इल्मी कारनामे अंजाम दिए कि जिस वक्त बनी उमैय्या और बनी अब्बास आपस में लड़ रहे थे, आप ने दुनिया के उहदे और मंसब को बढ़ावा नहीं दिया बल्कि अल्लाह के दिए हुए इल्म को बढ़ावा दिया कि आज हमारा मज़हब दुनिया में इल्म और अक़्ल की बुनियाद पर क़ायेम है, इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने अपने एक शागिर्द को जो इल्म सीखने के लिए आपके पास आए थे उनसे कहा इल्म हासिल करने की पहली मंजिल बंदगी की हक़ीक़त को पाना है। 

मजलिसे अज़ा में मरजा ए आला ए दीनी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली हुसैनी सीस्तानी द०ज़ि० के नुमाइंदे हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अशरफ अली ग़रवी साहब क़िब्ला के अलावा दीगर उल्मा और मोमनीन ने शिरकत की।

दफ्तरे नुमायंदगी आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी द०ज़ि० लखनऊ में मजलिसे अज़ा का आयोजन

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