۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
ابو تراب علی

हौज़ा/ वर्तमान में पुस्तक की सूरत में मौलाना का पहला प्रयास है। और वह अपने पहले प्रयास में सफल नज़र आ रहे हैं,इस पुस्तक में लेखक ने इतिहास की घटनाओं का विस्तृत विवरण देते हुए इसे परिषद के उद्देश्य और इसके अभूतपूर्व परिणामों को वरदान के रूप में प्रस्तुत किया है और परिषद के लोगों पर भी टिप्पणी की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , लेखक और अनुवादक हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैय्यद आबूतुराब अली नक़्वी मुजफ्फरपुर बिहार के रहने वाले एक उल्लेखनीय सफलता प्राप्त करते हुए आयतुल्लाह नाजमुद्दीन तबसी की पुस्तक फरसी ,,शिश नफर,,का उर्दू अनुवाद छ:सदस्यीय परिषद प्रकाशित हुई


शोधकर्ता ने इस पुस्तक का नाम छह सदस्यीय परिषद रखा है।
प्रत्येक आयु वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस पुस्तक को अत्यंत सजीव और शान्त भाव से लिखा है।
वर्तमान में पुस्तक की सूरत में मौलाना का पहला प्रयास है। और वह अपने पहले प्रयास में सफल नज़र आ रहे हैं,


इस पुस्तक के बारे में खुद मौलाना ने हौज़ा न्यूज़ एजेंसी को खबर देते हुए कहा कि पारसी जबान में लिखी गई आयतुल्लाह नाजमुद्दीन तबसी की पुस्तक ,, शोराये शिश नफर,,का उर्दू अनुवाद छ:सदस्यीय परिषद लेखक ने इस शूरा के उद्देश्यों का बखूबी वर्णन किया है और इसके कड़वे परिणाम, और इस शूरा के सदस्यों पर भी बहुत विस्तार से टिप्पणी की है,


ताकि प्रत्येक व्यक्ति जो इस पुस्तक को पढ़े वह अंत में अपने लिए फैसला कर सके। क्या शूरा में ऐसा हो सकता है ??? और उससे पहले क्या उम्माते मुस्लिम को खुद शूरा की ज़रूरत थी??
आप लोंगों से निवेदन हैं कि इस बुक कों ज़रूर पढ़े!और लेखक के लिए दुआ करें.
اس کتاب کو یہاں سے ڈاؤنلوڈ بھی کیا جاسکتا ہے۔

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