۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
हमारे अली

हौज़ा / "हमारे अली" एक ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखी गई किताब है जो इस्लाम धर्म का पालन नहीं करता था, लेकिन जब वह किताब उठाता है और उसे देखता है, तो उसे उसमें विश्वासों का एक समुद्र दिखाई देता है, जो दर्शाता है कि लेखक के हृदय में मौला ए कायनात अली (अ.स.) के लिए कैसी कैसी भावनाएँ थीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ईदे ग़दीर के मौके पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के राजदूत डॉ. सैयद नासिर हुसैन "राज्यसभा सांसद" और अन्य विद्वानों और शख्सियतों के हाथो इंटरनेशनल माइक्रोफिल्म सेंटर नूर के डायरेक्टर डॉ. मेहदी ख्वाजा पीरी,  और ईरान कल्चर हाउस (दिल्ली) के निदेशक डॉ. अली रब्बानी के तत्वावधान में कुछ पुस्तकों का विमोचन किया गया है, जिनके नाम इस प्रकार हैं: हमारे अली संकलन डॉ़ धर्मेंद्र नाथ, किताब नस्रुल लयाली संकलन फ़ज़्ल बिन हसन तबरसी और मुनाजाते अमीरुल मोमेनीन जो अब्दुल्लाह समाहीजी ने अपनी पुस्तक सहिफा ए अल्वी मे लिखी है।

हमारे अली नामक किताब एक ऐसे व्यक्ति का संकलन है जो इस्लाम धर्म का पालन नहीं करता था, लेकिन जब वह पुस्तक उठाता है, तो उसे उसमें अक़ीदतो का एक समुद्र दिखाई देता है, जो दर्शाता है कि लेखक के हृदय में मौला ए कायनात अली (अ.स.) के लिए यह कितना भावुक था कि उन्होंने मौला के गुणों (फ़ज़ाइल) पर एक विशाल पुस्तक लिख डाली!

मुनाजाते अमीरुल मोमेनीन या मुनाजाते ऐनिया: इस पत्रिका में इरफानी मुनाजाते और मानवी असरार और रूमूज़ बयान हुए हैं, जिनकी निसबम मौला ए कायनात हजरत अली (अ.स.) की ओर दी जाती है। इस पुस्तक के अंत में लगभग 318 बुजुर्गों और विद्वानों ने अपनी मुहरों के साथ मुनाजातो का समर्थन किया है।

किताब नस्रुल लयाली: यह पुस्तक फ़ज़ल इब्न हसन तबरसी द्वारा संकलित एक संक्षिप्त ग्रंथ के रूप में है। प्रत्येक पत्र के संदर्भ में लगभग दस हदीसों का उल्लेख किया गया है उक्त संस्करण में हदीसों की कुल संख्या 283 है।

इंटरनेशनल सेंटर माइक्रोफिल्म नूर का यह संस्करण है जो बहुत ही ध्यान देने योग्य है और मार्जिन (हाशिए) पर एक सुंदर एम्बॉसिंग है। इस पत्रिका में 58 पृष्ठ हैं। इस पत्रिका के प्रत्येक पृष्ठ पर दस पंक्तियाँ हैं, पाँच पंक्तियाँ अरबी में हैं और पाँच पंक्तियों मे अनुवाद किया गया है। इसका अरबी मत्न सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है और इसका अनुवाद लाल नस्तालिक फोंट में लिखा गया है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्वानों, बुद्धिजीवियों और अन्य दर्शकों ने भाग लिया। यह कार्यक्रम मंगलवार, 3 अगस्त, 2021 को ईरान कल्चर हाउस (दिल्ली) के प्रेयर हॉल में कोरोना प्रोटेक्टिव रूल्स के तहत आयोजित किया गया था।

इस कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने अपने प्रेरक भाषण दिए जिनके नाम इस प्रकार हैं: कल्चर काउंसलर डॉ. अली रब्बानी, मौलाना कल्बे रुशैद साहब, प्रो. शाहिद मेहदी, डॉ. अली रजा कज़वा, प्रो. अजीजुद्दीन हुसैन हमदानी, धर्मेंद्र नाथ के पुत्र हरमिंदर नाथ, इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत डॉ. अली चागिनी और डॉ. सैयद नासिर हुसैन (राज्य सभा सांसद) आदि शामिल थे।

कार्यक्रम में स्क्रीन पर एक वीडियो क्लिप भी दिखाया गया जिसमें इंटरनेशनल माइक्रोफिल्म नूर के निदेशक डॉ मेहदी ख्वाजा पीरी ने प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली खामेनई के सामने डॉ धर्मेंद्र नाथ को फारसी अशआर पढ़ते हुए दिखाया गया था।

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