हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान की संसद मजलिस शूरा-ए-इस्लामी के बारहवें कार्यकाल की शुरुआत के अवसर पर इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह खामेनेई ने एक संदेश जारी किया, जो 27 मई 2024 को सदन के अंदर पढ़ा जाएगा।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
सारी तारीफ़ पूरी कायनात के मालिक के लिए और दुरूद हो हमारे सरदार मोहम्मद मुस्तफ़ा और उनकी पाक नस्ल ख़ास तौर पर ज़मीन पर अल्लाह की आख़िरी हुज्जत इमाम महदी पर।
इस वक़्त जब संसद का बारहवां कार्यकाल अपने निर्धारित वक़्त पर बिना विलंब शुरू हो रहा है, मैं हकीम व अज़ीज़ ख़ुदा की बारगाह में विनम्रता के साथ सजदा करता हूँ और धार्मिक गणराज्य के जारी रहने और इसकी मज़बूती पर, जो ईरानी क़ौम के लिए अल्लाह का एक बड़ा तोहफ़ा है, शुक्र अदा करता हूँ।
हर नई संसद मुल्क के रौशन क्षितिज पर एक नई रौशनी बिखेर सकती है और क़ौम की उम्मीद और जज़्बे को बढ़ा सकती है। आज़माए हुए व अनुभवी निर्वाचित सांसदों के साथ नए सांसदों का एक प्लेटफ़ार्म पर आना यह पैग़ाम देता है कि संसद, संविधान की ओर से मिले अधिकारों को इस्तेमाल करते हुए और मुल्क के अहम स्तंभों के साथ अपनी भारी ज़िम्मेदारियों पर अमल करते हुए, मौजूदा समय की विशेषताओं और इनोवेटिव शैली के साथ परिपक्वता और गंभीरता को जोड़ देगी और क़ानून बनाने और निगरानी के काम को टकराव, उथल पुथल, स्थिरता व गतिहीनता से दूर रखेगी।
इस बात में शक नहीं कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ सुव्यवस्थित तरीक़े और लगाव के साथ सहयोग और इसी तरह विधिपालिका के भीतर सही व धैर्यपूर्ण रवैया, एक आइडियल संसद की सभी ख़ुसूसियतों को व्यवहारिक बनाने में मदद करेगा और सांसदों की अच्छी यादों को अमर बना देगा।
एक बिन्दु जिस पर मैं हमेशा बल देता हूं, यह है कि संसद को मुल्क के आम माहौल को सुकून देने वाला, उम्मीद पैदा करने वाला, हौसला उभारने वाला, लगाव व भाईचारे की दावत देने वाला होना चाहिए। ख़ुद संसद के भीतर ज़िम्मेदारी का मुख़्तसर वक़्त और उम्र, बेफ़ायदा प्रचारिक प्रतिस्पर्धा और नुक़ासनदेह राजनैतिक बहसों में न गुज़र जाए वरना इस ऊंचे मक़ाम पर सांसदों की मौजूदगी की मूल्यवान सलाहियत व क्षमता, बेकार चली जाएगी।
एक दूसरा बिंदु, सांसदों के शपथ लेने के बारे में है। यह शपथ लेना दिखावटी और नुमाइशी नहीं होना चाहिए, एक क़ानूनी व ज़िम्मेदारी तय करने वाली शपथ है वरना यह इस दुनिया और परलोक में कठिनाइयों में डाल देगा। आदरणीय सासंदों को इस ओहदे के दौरान अपने पूरे वक़्त, शरीअत पर आधारित इस शपथ के एक एक बिन्दु को मद्देनज़र रखना चाहिए और इसकी पाबंदी को, अपने प्रदर्शन के बारे में फ़ैसले की कसौटी समझना चाहिए।
अगला बिन्दु नैतिकता पर अमल के बारे में। इस्लामी जीवन शैली, जिसका एक अहम हिस्सा नैतिक महानताओं पर आधारित है, राजनैतिक चुनौती और वैध प्रतिस्पर्धा में ज़्यादा अहम हो जाता है। यहीं पर तक़वा, क्षमा, इंसाफ़, सच्चाई, ज़िम्मेदारी को अदा करने और बिना जताए काम करने की अस्ल क़ीमत सामने आती है। 19 मई 2024 की हवाई दुर्घटना के शहीदों (1) की, जिनके लिए आज पूरा मुल्क शोकाकुल है, एक अहम ख़ुसूसियत, नैतिकता पर अमल था। इस मसले में अपनी सख़्त निगरानी को गंभीरता से लें।
आख़िरी बात इस हक़ीक़त को याद दिलाना है कि हर सांसद पूरी ईरानी क़ौम का प्रतिनिधि है, इसका मतलब यह है कि सांसद का अस्ल काम, पूरी क़ौम के हितों को पूरा करना है। चुनावी हल्क़े से संबंधित मसलों पर काम, मुल्क के मसलों पर भरपूर नज़र रखते हुए किया जाना चाहिए और विकास परियोजनाओं को अति के साथ और विकास बजट की ताक़त से बाहर मंज़ूर करने से परहेज़ किया जाना चाहिए।
प्यारे भाइयो और बहनो! अवाम की सेवा की नीयत से किया जाने वाला काम, सदकर्म और अल्लाह की ओर से अज्र हासिल करने वाली भलाई है और शाकिर व सर्वज्ञानी अल्लाह लोक आख़ेरत में इसका बदला देगा। लोगों का दिल आपकी ओर मायल होना और उनकी ओर से बिना लालच का शुक्रिया, दुनिया में अल्लाह की ओर से मिलने वाला अज्र है और मरहूम राष्ट्रपति और उनके अज़ीज़ साथियों की शवयात्रा में दसियों लाख लोगों की शिरकत, अल्लाह की ओर से मिलने वाले इस अज्र का नमूना है। मुख़्तलिफ़ शहरों में वफ़ादार और बसीरत रखने वाले अवाम ने इन पाकीज़ा जिस्मों पर फूल और आंसूओं की बारिश करके मुल्क की नई नस्ल के लिए सन 80 के दशक के शहीदों की याद ताज़ा कर दी और हज़ारों झूठ, इल्ज़ाम, अफ़वाहों का अमली रूप से जवाब दिया। उन पर अल्लाह की रहमत व दुरूद हो।
आख़िर में ग्यारहवीं संसद के आदरणीय सांसदों ख़ास तौर पर कर्मठ स्पीकर (2) और प्रीज़ाइडिंग बोर्ड के कर्मठ सदस्यों का शुक्रिया अदा करना ज़रूरी समझता हूं।
आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत हो।
सैयद अली ख़ामेनेई
27 मई 2024
मरहूम राष्ट्रपति हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद इब्राहीम रईसी और उनके साथियों की हेलीकॉप्टर दुर्घटना की ओर इशारा जो 19 मई 2024 को पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत के वर्ज़क़ान के क़रीब घटी, जिसमें सभी लोगों की शहादत हुयी।
जनाब मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़