हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमरोहा हिंदुस्तान मे फ़ातिमतो बिज़्अतुम मिन्नी शीर्षक के तहत एक पारंपरिक महफिल-ए-मकासिदा का आयोजन किया, जिसमें कवियों ने बारगाह-ए-सय्यादा कौनैन में अश्आर पेशकश की।
मुहल्ला दरबार शाह विलायत (लकड़ा) में मास्टर नदीम के घर पर आयोजित इस महफिल में शायरों को परखने के लिए दो मिसर ए तरहा दिए गए।
आमंत्रित कवियों ने दिए गई मिसरअ तरहा "इलाही रौज़ ए ज़हरा की अब तामीर हो जाए" और "हम फ़ातिमा ज़हरा की दुआओ का असर है" पर जन्नत की मालकिन बिंत रसूल, पत्नी हैदर कर्रार, हसनैन की मां और ज़ैनब व उम्म कुलसुम के सम्मान में अश्आर प्रस्तुत की ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना इमरान तुराबी ने की, जबकि मंच पर उस्ताद शायर वाहिद अमरोहवी, लियाकत अमरोहवी और डॉ. लाडले मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन मेजबान मास्टर नदीम द्वारा किया गया।
अश्आर कहने वाले कवियों में वाहिद अमरोहवी, लियाकत अमरोहवी, डकार लाडले, डॉ. मुबारक, जमाल अब्बास फहमी, अशरफ फ़राज़, अरमान साहिल, फरकान अमरोहवी, ज़िया काज़मी, दहालिर अमरोहवी, मेजबान मास्टर नदीम, नाज़िम अमरोहवी, क़ैसर शामिल हैं। मुजतबा, सरफराज अमरोहवी, राल गफरान, गफरान रहल और रजी अमरोहवी शामिल थे।
हज़रत इमाम अली नक़ी ट्रस्ट रजिस्टर्ड द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम पिछले पच्चीस वर्षों से आयोजित किया जा रहा है, इस बार आयोजकों ने दर्शकों के लिए उपहार का आयोजन किया और इसके लिए लॉटरी निकालकर पांच दर्शकों का चयन किया गया
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