हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हिज़बुल्लाह लेबनान के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम शेख़ नईम क़ासिम ने उस्ताद-ए-फ़िक्र के शीर्षक से आयोजित आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी की याद में चौथे सम्मेलन में अपने वीडियो संदेश में कहा,आयतुल्लाह मिस्बाह इस्लामी क्रांति के सिद्धांतों और नियमों के पाबंद थे वे हौज़ा और विश्वविद्यालय के बीच एकता के पक्षधर थे।
उन्होंने आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी की शख़्सियत के दो अहम पहलुओं पर रौशनी डालते हुए कहा,इस्लाम की बुनियादों को जीवन के हर पहलू में मज़बूत करना और वली-ए-फ़क़ीह की पैरवी करना आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी की शख़्सियत के दो अहम पहलू माने जाते हैं।
हिज़बुल्लाह लेबनान के महासचिव ने आगे कहा,वे हमेशा दीन और इंक़लाब के बुनियादी उसूलों पर विश्वास रखते थे। वे क़ुम के हौज़ा ए इल्मिया की जामेआ-ए-मुदर्रिसीन के सदस्य और सांस्कृतिक क्रांति समिति की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य थे।
उन्होंने कहा,आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी हौज़ा और विश्वविद्यालय के बीच तालमेल और एकता पर विशेष ध्यान देते थे। उनकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह थी कि वे हमेशा इस्लामी बुनियादों की तलाश में रहते थे।
उनका मानना था कि अगर हम अपने अंदर उठने वाले संदेह, गालियों, शिकायतों और विकृतियों से दूर होकर सही उसूल और बुनियादों से शुरुआत करें, तो हम इस्लामी बुनियादों को एक आदर्श मॉडल के रूप में पेश कर सकते हैं।
शेख़ नईम क़ासिम ने कहा,आयतुल्लाह मिस्बाह यज़्दी ने वली ए फ़क़ीह हज़रत सैयद अली ख़ामेनई की अगुवाई में पहले इस्लामी गणराज्य में और फिर पूरी दुनिया में इस्लाम के स्तंभों को मज़बूत किया हैं।
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