हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,आयतुल्लाह सैयद यूसुफ तबातबाई नज़ाद ने आज इमाम अली बिन मूसा रज़ा अ.स. के पवित्र हरम के सेवकों से मुलाकात के दौरान विलायत की नेमत का उपयोग और इसके शुक्राने के संबंध में कहा,पहले चरण में अगर देखा जाए तो इमाम रज़ा अ.स. के सलवाते खासा को अन्य इमामों के लिए भी पढ़ा जा सकता है। दूसरे चरण में हमें यह शुक्र ज़बानी अदा करना चाहिए कि अल्लाह ने हमें अहले-बैत अ.स. जैसी नेमत से नवाज़ा है।
उन्होंने आगे कहा,इस नेमत का अमली व्यावहारिक शुक्र यह है कि हम इमामों अ.स. के सच्चे अनुयायी बनें खासतौर से इमाम रज़ा अ.स. के बारे में हमें इस नेमत का शुक्र अदा करना चाहिए जो दुश्मनों की साजिशों के बावजूद हमें नसीब हुई है।
इमामे जुमआ इस्फ़हान ने कहा, दुश्मनों को अंदाज़ा नहीं था कि इमाम रज़ा अ.स.को ईरान भेजने के बाद ऐसे हालात पैदा होंगे उन्होंने इमाम को निर्वासित कर व वलीअहदी (सिंहासन का उत्तराधिकारी) देने का प्रस्ताव देकर अपने मकसद हासिल करने की कोशिश की लेकिन इमाम अ.स. ने उनकी चालाकियों को समझते हुए यह शर्त रखी कि वे शासन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
आयतुल्लाह तबातबाई नज़ाद ने कहा,दुश्मन यह सोच रहा था कि इस कदम से इमाम को नुकसान पहुंचेगा और यह दिखाएगा कि इमाम सत्ता के इच्छुक हैं लेकिन इमाम रज़ा अ.स. ने अपनी हिकमत (बुद्धिमत्ता) से दुश्मनों की चालों को नाकाम बना दिया और आम जनता का प्रेम इमाम अ.स. के प्रति और बढ़ गया।
उन्होंने इमाम रज़ा अ.स. की नेमत की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा,यह महान नेमत खासतौर पर अली बिन मूसा रज़ा अ.स.के सेवकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें इस नेमत का शुक्र अधिक अदा करना चाहिए।
आयतुल्लाह तबातबाई नज़ाद ने कहा,याद रखें कि ज़ायरिन की सुविधा के लिए जो भी काम करेंगे वह मानो इमाम रज़ा अ.स. की सेवा है। इसलिए ज़ायरिन के साथ खुशमिज़ाजी से पेश आना और उनका सम्मान करना वास्तव में इमाम अ.स.का सम्मान करना है ज़ायरिन को इमाम अ.स.का मेहमान समझना चाहिए।
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