हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, सय्यद अब्दुल मलिक हौसी ने यमन द्वारा ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम समझौते की निगरानी करने की बात करते हुए कहा कि अगर दुश्मन इस समझौते का पालन करता है, हमारी उंगली ट्रिगर पर है; प्रतिरोध अभियानों की बहाली दुश्मन के इस समझौते के पालन पर निर्भर करती है।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका यमनी जहाजों की रक्षा करने में नाकाम रहा, जिससे इज़रायली जहाजों का संचालन रुक गया और इलात बंदरगाह प्रभावित हुआ। यमनी बलों ने अपने मिसाइल और ड्रोन सिस्टम को उन्नत किया और पहली बार समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे दुश्मन हैरान हो गए।
उन्होंने कहा कि इज़रायल का यमन पर आक्रमण विफल रहा और यह यमनी बलों की ड्रोन और मिसाइल कार्रवाई को रोकने में नाकाम रहा।
सय्यद अब्दुलमलिक ने ग़ज़्ज़ा में होने वाली साप्ताहिक विरोध रैलियों की सराहना की, जिनमें लाखों लोग शामिल होते थे। उन्होंने यह भी कहा कि यमन ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में सैकड़ों हजारों सैनिकों को भेजने का विचार किया था, हालांकि भौगोलिक बाधाओं के कारण यह संभव नहीं हो सका। उन्होने इज़रायल के खिलाफ संघर्ष के समर्थन में विभिन्न मोर्चों की स्थिरता की सराहना की और इसे इज़रायली दुश्मन के खिलाफ संघर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया।
ईरान की लगातार मदद की सराहना करते हुए, उन्होंने इसे यमनी प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने ग़ज्ज़ा के प्रतिरोधी नेताओं की बहादुरी की तारीफ की और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया। उनका कहना था कि ग़ज़्ज़ा की हालिया जीत एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसने इज़रायल को पराजित कर दिया।
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