हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, रूसिया अल-यौम (RT) न्यूज नेटवर्क द्वारा हाल ही में की गई चर्चा में इस्राईल की बैस्ट बैंक पर सैन्य कार्रवाई के कई पहलुओं को उजागर किया गया। इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतन्याहू के अनुसार, यह सैन्य कार्रवाई ईरान के प्रभाव को कमजोर करने और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई इस्राईल के लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य बैस्ट बैंक को इस्राईल में शामिल करना है।
जॉर्डन के ज़ारका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. हारिस अल-हलालमा का कहना है कि इस्राईल की सैन्य गतिविधियाँ वैस्ट बैंक में पहले से ही पूर्वानुमानित थीं, क्योंकि इस्राईल की वर्तमान सरकार ने इस क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेने का इरादा स्पष्ट रूप से व्यक्त किया था। उनके अनुसार, ये कार्रवाइयाँ धीरे-धीरे फिलिस्तीनी राज्य के गठन को रोकने और इस्राईल की सैन्य और बस्तियों के विस्तार के रूप में सामने आई हैं। यह कदम फिलिस्तीनी भूमि पर इस्राईल के कब्जे को और मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।
डॉ. अल-हलालमा ने यह भी बताया कि इस सैन्य कार्रवाई को ग़ज़्ज़ा में संघर्ष विराम के समझौते से पहले किया गया, जिसे एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देखा जा सकता है। उनका मानना है कि इस्राईली वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने नेतन्याहू की दक्षिणपंथी गठबंधन को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया। दक्षिणपंथी इस्राईली नेताओं का मानना है कि वैस्ट बैंक को इस्राईल में शामिल करना उनका मुख्य लक्ष्य है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस्राईल की सैन्य गतिविधियाँ ट्रम्प प्रशासन के दौरान तेज़ हुईं, जब अमेरिका ने इस्राईल को अधिक समर्थन दिया और फिलिस्तीनियों को साझीदार मानने से इंकार किया। इससे इस्राईल को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में मजबूत स्थिति मिली। आगे आने वाले समय में, इस क्षेत्र में फिलिस्तीनी और इस्राईली आक्रमणकारियों के बीच हिंसा बढ़ सकती है, और वैस्ट बैंक का इस्राईल में विलय अमेरिकी नीतियों पर निर्भर करेगा।
फिलिस्तीनी लेखक अहमद जकार्ने का कहना है कि इस्राईल के हमले विशेष रूप से जिनिन और उसके शरणार्थी शिविरों पर केंद्रित हैं, क्योंकि दक्षिणपंथी इस्राईली वैस्ट बैंक को "यहूदा और सामरिया" के रूप में देख कर उसे इस्राईल में शामिल करना चाहते हैं। उनका मानना है कि इस्राईल का उद्देश्य फिलिस्तीनी क्षेत्रों में संघर्ष विराम की स्थापना से अधिक, फिलिस्तीनी राज्य को नष्ट करना और राजनीतिक प्रक्रियाओं को विफल करना है।
कुल मिलाकर, यह विश्लेषण दर्शाता है कि इस्राईल की रणनीति न केवल फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जा करने की है, बल्कि यह फिलिस्तीनी प्रतिरोध और राजनीतिक अस्तित्व को कमजोर करने की भी कोशिश कर रही है।
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