रविवार 23 फ़रवरी 2025 - 17:21
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हौज़ा / आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने जुमा के खुत्बे मे फ़िलस्तीन के मुद्दे के महत्व और कुछ अरबी देशों द्वारा यहूदी शासन के साथ रिश्ते सामान्य करने की निंदा की है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इराक की राजधानी बगदाद के इमाम जुम्मा आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने जुमा के खुत्बे में कहा, फ़िलस्तीन का मुद्दा अरब देशों और मुसलमानों का केंद्रीय मुद्दा है।

उन्होंने कहा,कुछ अरब देशों ने कार्टर के दौर से लेकर आज तक अमेरिकी दबाव के तहत इज़रायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिश की है।

हौज़ा इल्मिया नजफ अशरफ के इस प्रमुख शिक्षक ने आगे कहा,इन देशों में जिनमें हस्नी मुबारक के दौर में मिस्र, शाह हुसैन के दौर में जोर्डन, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य शामिल हैं ने मसला-ए-फिलस्तीन से हाथ खींच लिया है, जबकि यह मसला अब भी अरब देशों के दिलों में जिंदा है।

उन्होंने कहा, इज़रायल के साथ रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया लालच और डर के कारण है चाहे वह युद्ध का डर हो सत्ता के पतन का भय हो, या आर्थिक प्रतिबंधों का डर इन देशों को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है लेकिन उन्हें अच्छी तरह से पता है कि अमेरिका किसी भी समझौते का पालन नहीं करता जैसा कि अनुभव से सिद्ध हो चुका है।

आयतुल्लाह मूसवी ने संयुक्त अरब अमीरात के ज़ायोनी के साथ रिश्ते सामान्य करने की ओर झुकाव पर हैरानी जताते हुए कहा,यह मामला इतना बढ़ चुका है कि संयुक्त अरब अमीरात एक अरबी देश से इब्रानी देश में बदल चुका है।

उन्होंने आगे कहा,लेबनान में भी एक ऐसा धड़ा है जो ज़ायोनी के साथ रिश्ते सामान्य करने का इच्छुक है लेकिन यह धड़ा किसी भी सिद्धांत या नियम का पालन नहीं करता।आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने ज़ोर देकर कहा कि इराकी जनता कभी भी ज़ायोनी के साथ रिश्ते सामान्य करने को स्वीकार नहीं करेगी।

उन्होंने कहा,उत्तरी इराक में बाथ पार्टी के दफ्तर को फिर से खोलने की कोशिशें की जा रही हैं और कुछ इराकी अधिकारी सद्दाम हुसैन की आगामी चुनावों में उम्मीदवार बनाने की चाहत रखते हैं जो इराक को कमज़ोर करने की एक साजिश है।

नजफ अशरफ के प्रमुख शिक्षक ने कहा, इराक उन अरब देशों से अलग है जो अमेरिका के आदेशों के तहत काम करते हैं आज ट्रम्प जोर्डन और मिस्र से फिलस्तीनी लोगों को बसाने की मांग कर रहे हैं ताकि वे ग़ज़्ज़ा पर नियंत्रण हासिल कर सकें और यह सब उम्मत-ए-मुस्लिमा की कमजोरी और इज़्ज़त-नफ़्स की कमी के कारण है।

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