हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , बगदाद के इमामे जुमआ और हौज़ा इल्मिया नजफ़ के प्रसिद्ध शिक्षक, आयतुल्लाह सैय्यद यासीन मूसवी ने क्षेत्रीय संघर्षों में तटस्थता के विचार को एक धोखा बताया और जोर देकर कहा कि इराक को अमेरिका की प्रभुत्ववादी नीतियों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज इराक एक ऐसा देश है जो क्षेत्र और विश्व दोनों में प्रभाव डालने वाला और प्रभाव ग्रहण करने वाला है। इराक न तो अपने आस-पास के माहौल से अलग रह सकता है और न ही विवादों के केंद्र में अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट सकता है।
उन्होंने यह भी कहा,जो व्यक्ति अमेरिका के सामने खड़ा नहीं हो सकता, कम से कम वह खुद को अमेरिकियों से ज़्यादा अमेरिकी न बनाए।
आयतुल्लाह मूसवी ने मौजूदा वैश्विक हालात की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज के दौर में तटस्थ रहने की बात केवल एक भ्रम है क्योंकि वैश्विक राजनीति किसी भी देश को अपने आस-पास की घटनाओं से अलग रहने की अनुमति नहीं देती।
अपनी बात के दौरान उन्होंने शीत युद्ध के अंत के बाद अमेरिका के एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरने और वैश्विक ताक़तों के संतुलन में बदलाव की व्याख्या की उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की कड़ी आलोचना भी की।
बगदाद के इमामे जुमा ने कहा कि ट्रंप केवल राजनीतिक वर्चस्व तक सीमित नहीं है बल्कि धार्मिक मामलों में भी वैश्विक प्रभुत्व की चाह रखता है, जो कि पश्चिमी परंपरा यानी चर्च और राज्य के बीच अलगाव के खिलाफ है। ट्रंप यहां तक दावा करता है कि वह ईसाइयों का पोप बनना चाहता है।
यमन युद्ध पर उन्होंने कहा कि यह मूलत यमनी-अमेरिकी युद्ध" बन चुका है, क्योंकि अब इसमें यमनी सेनाएं सीधे अमेरिका से टकरा रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा,यद्यपि यमन और अमेरिका के बीच सैन्य और आर्थिक ताक़त का बड़ा फर्क है, फिर भी यमनी हमले अमेरिकी आक्रामकता का प्रभावी उत्तर सिद्ध हो रहे हैं।
ईरान के बारे में आयतुल्लाह मूसवी ने कहा,ईरान और इराक के संबंध केवल राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि एक गहरे धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक संबंध पर आधारित हैं जिसे कोई ताक़त समाप्त नहीं कर सकती।उन्होंने कहा,हम एक ही मरजअियत एक ही अक़ीदा और एक ही साझा मुक़द्दर पर विश्वास रखते हैं।
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