सोमवार 24 फ़रवरी 2025 - 23:28
क़ुरआन पर अमल करने से तबलीग़ का असर बढ़ता है

हौज़ा / इस्फ़हान के इमाम ए जुमआ ने कहा,मुबल्लिग़ीन को अपने आचरण और व्यवहार में क़ुरआनी शिक्षाओं का आदर बनना चाहिए। क़ुरआन पर अमल करना न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति का कारण बनता है बल्कि प्रचार की प्रभावशीलता को भी बढ़ाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,आयतुल्लाह सैयद अबुल हसन महदवी, जो इस्फ़हान के लोगों के प्रतिनिधि और रहबरी के ख़बरगान काउंसिल के सदस्य हैं, इस्फ़हान में आयोजित आठवें स्थायी प्रचार व्यक्तित्व सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने तबलीग़ को एक सामूहिक कर्तव्य बताते हुए इसके सामाजिक उद्देश्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

उन्होंने कहा,प्रतिभाशाली युवाओं को धार्मिक मदरसों (हौज़ा ए इल्मिया) से परिचित कराना एक आवश्यक कार्य है यह न केवल भविष्य के प्रचारकों और धार्मिक शोधकर्ताओं की तैयारी में सहायक होगा बल्कि समाज की सांस्कृतिक और धार्मिक नींव को भी मज़बूत करेगा।

इस्फ़हान के अस्थायी इमामे जुमआ ने कहा, युवाओं की क्षमताओं पर ध्यान देना और उन्हें धार्मिक ज्ञान की ओर मार्गदर्शन करना इस्लाम और क्रांति के भविष्य के लिए एक बहुमूल्य निवेश है।

उन्होंने यह भी कहा कि रमज़ान के पवित्र महीने के निकट आने के साथ इबादत की तैयारी और अभ्यास आवश्यक है इसके साथ ही उन्होंने क़ुरआन पर अमल करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि प्रचारकों मुबल्लिग़ीन का कर्तव्य केवल क़ुरआन को पढ़ना और सीखना ही नहीं बल्कि उस पर अमल करना भी है।

आयतुल्लाह महदवी ने कहा, मुबल्लिग़ीन को अपने ज्ञान के अनुसार आचरण करना चाहिए और उनके व्यवहार में क़ुरआनी शिक्षाओं की झलक होनी चाहिए क़ुरआन पर अमल करना न केवल व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति का कारण बनता है, बल्कि प्रचार की प्रभावशीलता को भी बढ़ाता है।

उन्होंने आगे कहा, यदि प्रचारक मुबल्लिग़ीन क़ुरआन को अपनी जीवनशैली का आधार बना लें तो वे दूसरों के लिए प्रकाशस्तंभ बन सकते हैं और उन्हें सफलता और पूर्णता की ओर मार्गदर्शन कर सकते हैं।

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