शनिवार 12 अप्रैल 2025 - 08:01
क़ुरआन आख़ेरुज़ ज़मान की शंकाओं और फितनों को दूर करने का सबसे अच्छा साधन है

हौज़ा / क़ुम प्रांत के बसीज छात्र संगठन में वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम हिम्मती ने कहा कि आख़ेरुज़ ज़मान में फितने और शंकाएँ बहुत बढ़ जाएंगी, लेकिन अगर हम क़ुरआन के साथ रहेंगे तो इन सभी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, क़ुम प्रांत के बसीज छात्र संगठन में वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम हिम्मती ने क़ुम विश्वविद्यालय के शेख मुफ़ीद (र) हॉल में आयोजित "हयात" नामक क़ुरानी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह मेंकहा कि आख़ेरुज़ ज़मान में फितने और शंकाएँ बहुत बढ़ जाएंगी, लेकिन अगर हम क़ुरआन के साथ रहेंगे तो इन सभी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

उन्होने कहा कि इमाम अली (अ) ने फरमाया है, "क़ुरआन सीखो।" लेकिन अफसोस की बात है कि हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी के लिए तो समय निकाल लेते हैं, लेकिन उस किताब के लिए समय नहीं निकालते जिसे अल्लाह ने हमें जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने के लिए भेजा है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी सोच और विचारधारा को क़ुरआनी होना चाहिए। क़ुरान से जुड़ना इंसान को अल्लाह के करीब ले जाता है। यह जरूरी नहीं कि हर दिन कई पन्ने या पूरा जुज़ (अध्याय) पढ़ा जाए, बल्कि एक या दो आयतें पढ़कर भी उन पर चिंतन किया जा सकता है। क़ुरआन हर चीज़ का स्पष्ट समाधान देता है।

उन्होंने आयतुल्लाह खामेनेई  की बात का ज़िक्र करते हुए कहा, "अगर आप क़ुरआन की ओर रुख करेंगे, तो आप शंकाओं का जवाब देने में सक्षम होंगे।" आख़ेरुज़ ज़मान में फ़ितने और शंकाएँ बढ़ जाएंगी, लेकिन अगर हम क़ुरआन के साथ रहेंगे तो इनसे बच सकते हैं।

अंत में उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के सम्मेलनों का पुण्य प्रतिरोधी मोर्चे को मज़बूती देगा और इमाम-ए-ज़माना (अ) का दिल को प्रसन्न करेगा।

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